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बिम्ब पूजबाथी अभगवान मां भगवान नी बुद्धि थशे. माटे अ भगवान मां भगवान नी बुद्धि रूप दोष लागशे. मूलम्साधूच्यतेऽदस्त्वयकाविवारिणा-ऽनाकारिणस्त्वाऽऽकृतिरेवनेष्टा इदं तुयद्भागवतंहिबिम्ब, तच्चावताराकृतिक्लुप्तरूपम् ।४० गाथार्थ:-विचारशील तें ठीक कह्य. अनाकार वाली वस्तु नो अनाकार इष्ट नथी. भगवंत संबंधी प्रतिमा भवना आकार नी अपेक्षाए बनावेल छे. विवेचनः हे विचारशील ! तें कह्य के आकार वाली वस्तु नो आकार होय परन्तु भगवान तो आकार रहित एटले अनाकार छे. तेथी अनाकार वाला भगवान नी प्राकृति ते इष्ट नथी. तेना प्रत्युत्तर मां जणाववानुं के भगवान नी जे प्रतिमा बनाववामां आवे छे ते प्रतिमा भगवान ना अंतिम भव ना शरीर नी अपेक्षाए बनाववा मां आवे छे. कारण के भगवान निराकार तो सिद्ध थया बाद होय छे. ज्यों सुधी तेरो मोक्ष मां न जाय त्यां सुधी भगवान साकार होय छे, माटे दोष लागतो नथी.
याहक्तु संघारकृतावतारोऽभून्नयासि ताहग्भगवान्महद्भिः। पायाह्यवस्थाचितानयेभ्यः, साऽहोतदर्थःपरिपूज्यतेतः ।४१