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आवा प्रकार नुं कर्म केटला प्रकार नुं थाय ?
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ते त्रण प्रकार नुं छेः-भोगवेलुं भोगववा योग्य अने भोगवासुं - सर्व शुभाशुभ कर्म संबंधी जाणवु.
गाथार्थ. -
विवेचन: -- शुभाशुभ कर्म चार भांगावालुं होय छे ते जणाव्या बाद हवे प्रश्न करवा मां आवे छे के ते चार भांगावालुं शुभाशुभ कर्म केटला प्रकार नुं होय छे ? तेनो प्रत्युत्तर आपतां जणावे छे के ते कर्म त्ररण प्रकार नुं छे. ते त्रण प्रकार कया छे ? तो जणाववानुं के भुक्त भोग्य
भोज्यमान. एटले जे कर्म बंधाया बाद उदय मां प्रावी ने भोगवाई गयेलुं होय ते भुक्त कर्म कहेवाय छे. जे कर्म बंधTयT बाद भविष्य मां उदय मां आवी भोगवाशे ते भोग्य कर्म. अने जे कर्म बंधाया पछी वर्तमान काल मां उदय मां आवी भोगवाय छे ते भोज्य मान कर्म कहेवाय छे. कर्मनो भुक्त, भोक्ष्यमाण अने भुज्यमान अवस्था मूलम्
विद्यथा वारिदबिन्दु वृन्दं वसुन्धरायां पतितं प्रशुष्कम् । तदद्भुक्तवत्तत्रचभोग्यवत्कि, यावत्पतिष्यत्परिशोष्यमस्ति । ५२ निपत्यमानं परिशुष्यमाणं यावद्यदेतत्परिभुज्यमानयत् । ग्राह्योगृहीतः परिगृह्यमाणो, यथागुङोवाकिलकर्मतद्वत् ॥ ५३ गाथार्थ-जेम पृथ्वी ऊपर पड़ेला वरसाद ना बिन्दु ना समूह नी जेम भोगवेलुं कर्म होय छे, पड़वा योग्य भोग्य कर्म