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( २०८) करवामां उपयोगी बने छे. काल, स्वभाव, भवितव्यता, कर्म अने उद्यम ए पांच समवाय कारणोज जीव ने कर्म ग्रहण करवामां, कर्मो भोगववामां अने कर्मों नाश करवामां कारण भूत बने छे. ए प्रमाणे ए दशे अजीव द्रव्यो जीवो ने संसारी जीवन जीववामां उपयोगी बने छे. माटे अजीव द्रव्यो जीव माटे उपयोगी छे.
जीवास्त्विमेस्वोजितकर्मपुद्गलः,संतश्रितादुःखसुखाश्रयीकृताः। द्रव्यारिणषट्यत्समवायपञ्चक-मेतन्मयंह्य वजगन्नचाऽपरम्।१० गाथार्थ:---ा जोवो पोते उपार्जन करेल कर्मो वड़े दुःखसुख ने आश्रित थयेला छे. छः द्रव्य अने पांच समवाय मय
आ जगत छे. बीजू कंइ पण नथो. विवेचन:- जीवो पोतेज शुभाशुभ कर्मो उपार्जन करे छे अने ए कर्मो ना उदये जीवो सुखी अने दु:खी थाय छे अर्थात् जीवो दुःख अने सुख ने आधीन बनेला छे. तेमज उपरोक्त कारण थी पांच द्रव्य अने पांच समवाय ने पण आधीन बनेला छे. एटले आ जगत छः द्रव्य अने पांच समवाय ने पण आधीन बनेला छे. एटले आ जगत छः द्रव्य अने पांच समवाय ने पण आधीन बनेला छे, एटले आ जगत छः द्रव्य अने पांच समवाय मयज छे, परन्तु छः द्रव्य अने पांच समवाय सिवाय जगत मां बीजं कंइ पण नथी.