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विवेचन: - जैन सिद्धान्त नी मान्यता मुजब ग्रा संसार मां छः द्रव्यो छे - धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल, पुद्गलास्तिकाय अने जीवास्तिकाय. ए छः द्रव्यो मां जीवास्तिकाय छोड़ी ने पांच द्रव्यो जीव छे. जीव अने पुद्गलो ने गति करवामां सहायक ने प्ररुपी एवं द्रव्य
धर्मास्तिकाय, जीव ने पुद्गलो ने स्थिरता करवामां सहायक अने ग्ररुपी एवं द्रव्यते श्रधर्मास्तिकाय, बधा द्रव्यो ने जग्या आपनार अने ग्ररूपी एवं द्रव्य ते आकाशास्तिकाय, समय नी मर्यादा बतावकार अने अरूपी एवं द्रव्य ते काल, जीव ने पुद्गल द्रव्य प्रसिद्ध छे. काल, स्वभाव, भवितव्यता, कर्म अने उद्यम ए पांच कारणो पर अजीव छे. पांच अजीव द्रव्यो ने पांच समवाय कारणो एम दश प्रजीव द्रव्यो थो जीव युक्त सर्व संसार सतत चाले छे. धर्मास्तिकाय नी सहाय द्वारा जीव ग्रने पुद्गल गति करी शके छे. धर्मास्तिकाय नी सहाय द्वारा जीव ने पुद्गल स्थिरता करी शके छे.
प्रकाशास्तिकाय द्रव्य श्री जीव अने पुद्गलों आदि जग्या प्राप्त करी शके छे. पुद्गलास्तिकाय थी जीव ग्राहार आदि क्रिया करे छे. कर्मो पण पुद्गलास्तिकाय होवा थी तेमज अजीव द्रव्यो होवा थी जीव सुख-दुःख नो अनुभव करे छे. काल द्रव्य परण वर्तमान आयुष्य आदि नुं प्रमाण