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इत्यादि नामो कर्म स्वभाव जाणनारो एज पूर्व करेल कर्मो नां शास्त्रो मां कहेल छे. पोताना करेल कर्मो सिवाय जीवना सुख-दुःख नो कर्ता बीजो कोई नथी. विवेचनः जगत मां जीवनी इच्छा दुःख भोगववानी नथी छतां अशुभ कर्म ना बंध ना योगे दुःख भोगवणुं पड़े छे. माटे कर्म नो कोई प्रेरक होवो जोइये. अने प्रेरक तरीके विधाता आदि मां थी कोई एक होवो जोइये. तेना प्रत्युत्तर मां जणाववानुं के विधाता आदि एमांनो कोई प्रेरक नथी, परन्तु कर्म शास्त्र ना जाणकारो एज भाग्य, स्वभाव, भग वान,अदृष्ट, काल, यम, दैवत, देव, दिष्ट, परमेश्वर, क्रिया, पुराकृत, विधा, विधि, लोक, कृतांत, नियति, कर्ता, प्राक्कीर्ण लेख, प्राचीन लेख अने विधाता लेख विगेरे ने शास्त्रो मां कर्म नां नामो कहेल. छे. माटे ए बधा कर्म ना प्रेरक बनता नथी, परन्तु जीव ना सुख-दुःख नो कर्ता पोताना करेल कर्म सिवाय बीजो कोई प्रेरक नथी. कोई नी पण प्रेरणा विना जोवन स्वरुप नुप्राप्त कर
कम नो स्वभाव अने जीवनु स्वरुप नूलम् - स्थाने त्वजीवानिपुनर्जड़ानि, कर्माणिकिंकर्तुं मिहक्षमाणि ? । कश्चित्तदेषांपरिणोदकोऽस्तु, यच्छक्तितोऽमूनिसहीभवन्ति ।६।