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उत्तम वर्तन राखी परोपकारमा विभूति आत्मिक अने पौद्गलिक-वापरी आ भवमां लहेर करे छे अने परभवमां पण आनंद पामे छे. जे त्रीजा भाइनी पेठे धन गुमावी दे छे तेने तो अनंतकाळ पर्यंत चोराशी लाख जीवायोनिमा भटकवान छे, तेनो छेडो नथी; अने पराक्रमवाळा जीवोए मध्यम भाइनी पेठे बेसी रहेवू सारं नथी. तेजी घोडाओए तो काम पार पहोंचाडवू सारं छे. आ मनुष्यभव फरी फरीने मळवानो नथी. माटे त्रीजा भाइनी जेवी स्थिति न थाय ते खास ध्यानमा राखवानी अने पहला भाइनी जेम वर्तवानी जरूर छे. आ मनुप्यभवना सरवैयामां पण उधार पासु वधे तो तो बहुज खोटुं कहेवाय.
॥ दृष्टांत-छटुं-गाडु हाकनारनुं॥ एक गाडावालाने एक गामथी बीजे गाम जवान हतुं. पोते ते गामना सारा तथा खराब बन्ने रस्ता जाणतो हतो, छतां ते गाम जतां पोते खाडा खडबा अने डुंगरा टेकरीवाळो खराब रस्तों लीघो. परिणाम ए थयु के रस्तामां तेना गाडानो धरो भांगी गयो त्यारेगाडावाळो पोतानी अणसमजपर पस्तावा लाग्यो (उपनय) आ लघु दृष्टांत बहु उपयोगी छे आमां उपदेश विद्वान श्रोता अने भणेला वांचनाराओ प्रत्त्ये छ. हे विद्वानो ! तमे जाणो छो के मोहथी अने प्रमादथी संसार वधे छे, तमे संसारनी अस्थिरता सांभळी छ, जाणी छ, मानी छ; अने शम, दम, दया, दान धृति विगेरेथी पुण्यबंध अथवा कर्म-निर्जरा छे ए पण जाणो छो छतां तमाएं वर्तन पापने रस्ते थाय छे ए बहु खोटु छे अजाण्या भूल करे ए काइक संभवित छे पण जाणी जोइने तमारु गाडूं खराब रस्ते चलावीं पछी भांगे त्यारे पस्तावो करोछो ए तमारे भाटे तदन खोटुं छे, तमे समजु छो तेथी वधारे कहेवानी जरुर नथी, पण तमारा वर्तन- घणा माणसो अनुकरण करे छे ते पण तमारे ध्यानमा राखवानुं छे.
दृष्टांत-सातमुं-भिक्षुकर्नु एक गामडीओ दरीद्री पोताना गामा काइ पण कमातो नहोतो तेथी भिक्षा मागवा सारू परदेश गयो. ते बिचारो अनेक गाम रखड्यो. पण तेने पेट पुरती भिक्षा पण मळती नहोती. त्यारे आखरे कंटाळीने ते पोताना गाम तरफ पाछो फर्यो. रस्ते एक गाममा यक्षन मंदिर आव्यु, त्यां रात्रिये सुतो. पोतानी दरिद्रतापर विचार करतो अर्ध जाग्रत स्थितिमा सुतो छ,