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स्त्रीना गुण बीजाने के तेने पोताने न कहेवाः-बीजा आगळ गुण कहेवाथी लोको ते कहेनारने निर्लज माने छे, अने कोइ मनुष्यने तेनी कसोटी काढवानुं मन थई जाय, तो तेमा भय आववानो संभव छे. सद्गुणोनुं प्रत्यक्ष वर्णन करवाथी केटलीकवार ते स्त्री नफट थई जवानो भय रहे छे. __ आ उपरनी शीखामण एकंदर व्याजबी छे, पण बधा संयोगोमां एमज वर्तवं एम कही शकाय नहि मनुष्ये पोतानो नोकर, पुत्र अने स्त्री केवा पात्र छे तेनो विचार करी जेम योग्य लागे तेम वर्तवं.
जंपिज्जइ पिअवयणं किज्जइ, विणओ अ दिज्जए दाणं ॥ परगुण गहणं किज्जइ, अमूल मंतं वसीकरणं ॥१८॥
अर्थः--प्रिय वचन बोलवू, विनय करवो, दान देवू, अने पारकाना गुण ग्रहण करवा-आ वशीकरणनो अमूल्य मंत्र छे. ॥ १८॥ ___ भावार्थः-बीजा मनुष्योने वश करवा अर्थात् पोताना करी लेवानो उत्तम मार्ग आ श्लोकमा सूचववामां आवेलो छे. प्रिय वचन बोलवूवचननी अंदर अमृत तथा झेर रहेलुं छे; वचनमां मित्रता तथा शत्रुता रहेली छे. माटे जो बीजाने पोतानो बनाववो होयतो उत्तम मार्ग ए छे के मनुष्ये वचनो प्रिय अने हितकारी बोलवां. केटलीकवार मनुष्यो अमे स्पष्टवक्ता छीए, ए ब्हाना हेठळ बीजाने नहि बोलवा योग्य अप्रिय अने तिरस्कारभर्या वचनो संभळावे छे. आमां सत्य दबाई जाय छे, अने तिरस्कार प्रकट थाय छे, तेथी सामो मनुष्य शत्रु बने छे. बीजाने पोतानां बनाववानो बीजो मार्ग ए छे के सामानो विनय करवो-सामा प्रत्ये सभ्य वर्तन राखवू, अने सामाने प्रिय लागे तेवी रीते तेनी साथे वर्तवं. दान देवं अन्य मनुष्यने मोटुं मन राखी दान आपवाथी पण ते आपणो माणस बने छे. दान लेनारमा दान आपनार प्रत्ये आभारनी लागणी पेदा थाय छे, अने तेथी दान आपनारनो पोते केवी रीते बदलो वाळी शके एवो विचार प्रकटे छे. आ रीते दान लेनार दान आपनारने वश थाय छे. .. पारकाना गुण ग्रहण करवा. जे तुल्य गुणग्राही छे, बीजाना गुणनी