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श्री वैराग्य शतक ॥ श्री गौतमस्वामिने नमः ॥
परिचय आत्माने संसारथी मुक्त करवाना बे मार्ग छे. एक भक्तिमार्ग अने बीजो ज्ञानमार्ग. तेमां भक्ति मार्ग घणो सहेलो छे. बाळ युवान, वृद्ध, स्त्री, पुरूष, सर्व ए मार्गने अनुसरी शके छे. भगवान पण भक्तिथी वश थाय छे. प्रभुना गुण गावा . तेमनी पासे प्रार्थना करवी, हाथ जोडीने तेमनी स्तुति बोलवी ए पण भक्तिनो एक प्रकार छे. आ पुस्तकनी शरूआतमां चोवीस परमात्मानी स्तुतिओ आपी छे, ते कंठे करी जिनेश्वर प्रभु समक्ष बोलवाथी उल्लासने वधारे छे. भक्तिभावने जागृत करें छे. प्रभु साथे एकमेक बनावे छे. ते स्तुतिओनी शब्द रचना एटली बधी सुंदर ने सरल छे के एक वखत वांचवाथीं पण मोढे चडी जाय एवी छे. . ___"आत्मा मारो प्रभु तुज कने आववा उलसे छे.
आपो एवं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे." __ वगेरे शब्दो बोलतां हृदय उच्छळे छे. कर्ताए विना प्रयासे पाणीना झरानी माफक शब्द प्रवाह वहेवराव्यो होय एम लागे छे, कुदरते रचायेली कृतिओज अजरअमर ने असरकारक निवडे छे.
चोवीश भगवाननी स्तुतिओ पछीथी आ पुस्तकमां