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पृष्ठ ४ ऋजु व्यवहार के चार प्रकार | ६ प्रवचन कुशल के छः भेद १७१
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१ सूत्र कुशल १७२ १ यथार्थभाषण १३५
जिनदास का दृष्टांत १७२ - कमल सेठ का दृष्टांत १३६
२ अर्थ कुशल . १७४ २ अवंचक क्रिया १४३
ऋषिभद्र का दृष्टांत १७५ हरिनन्दी की कथा १४४
३१४ उत्सर्गाऽपवाद कुशल १७८ . ३ भावि अपाय प्रकाशन १४७
___ अचलपुर के श्रावकों की ... भद्रसेठ का दृष्टांत १४७
कथा १७८ ४ सद्भाव से मित्रता १५०५ विधिसारानुष्ठान १८१
सुमित्र का दृष्टांत १५० ब्रह्मसेनसेठ की कथा १८१ ऋजुव्यवहार नहीं रखने में ६ व्यवहार कुशल १८६
दोष १५६ अभयकुमार की कथा १८६ ५ गुरुशुश्रूषा का चार प्रकार १५७ भाव श्रावक के सत्रह लक्षण १९० १ गुरु-सेवा करना - १५८
. १ स्त्री-वशवर्ति न होना १९२ - जीर्ण सेठ की कथा १५८ |
__काष्ट सेठ का दृष्टांत १९३ २ गुरु-सेवा कराना १६१
२ इन्द्रिय-संयम १९७ पप्रशेखर राजा की कथा.
विजयकुमार की कथा २०० ३ औषध-भेषज संप्रदान१६५
३ अर्थ की अनर्थता २०८ अभयघोष का दृष्टांत. १६६ चारुदत्त का दृष्टांत २१० ४ भाव-बहुमान १६८ . ४ संसार की असारता २१६ संप्रति राजा की कथा १६८ । श्रीदत्त का दृष्टांत २१७