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________________ आयतन सेवन पर सुदर्शन की कथा परम-हिम सहित ( अत्यन्त बरफ वाली) सती पवित्र (पार्वती से पवित्र ) शिव कलित (महादेव सहित ) हिमालय की भूमि के समान--पर--महिम समेत ( अति महिमावन्त ) सती पवित्र (सती स्त्रियों से पवित्र) शिव कलित (निरुपद्रव) सौगन्धिका नगरी थी वहां नगर में श्रेष्ठ सुदर्शन नामक मिथ्यादृष्टि सेठ था। वह शुक परिव्राजक का भक्त था व सांख्य सिद्धान्त का पूर्ण ज्ञाता था। इधर सौराष्ट्र देश में द्वारिका नामक नगरी थी। वहां सम्यकत्व से पवित्र श्रीकृष्ण राजा राज्य करता था वहां थावच्चा नामकी एक प्रख्यात सार्थवाहिनी थी. उसका बालक अल्प-वयस्क था. तभी कमे वश उसका पति मर गया था, जिससे शोकातुर रहते उसने उस बालक का नाम ही नहीं रखा । अतः वह लोक में थावच्चापुत्र के नाम से प्रख्यात हुआ कालक्रम से वह कला कुशल होकर यौवनावस्था को प्राप्त हुआ तब उसकी माता ने उसका एक ही साथ बत्तीस बड़े २ सेठों की कन्याओं से विवाह किया उनके साथ उसने दोगुदक देव के समान निश्चितता से अनुपम सुख भोगते हुए बहुत काल व्यतीत किया। __वहां एक दिन नेमिनाथ जिन पधारे, उनको वन्दना करने के लिये श्रीकृष्ण बड़ी धूम धाम से जाने लगा तथा वहां अन्य भी राजेश्वर, तलवर (जेलर ), सार्थवाह, सेठ आदि नगर लोग शीघ्र २ जिनवंदन को रवाना हुए । उनको सजधज कर एक दिशा में जाते देखकर थावञ्चापुत्र अपने प्रतिहार को पूछने लगा कि- ये लोग सजधज कर शीघ्र २ कहां जा रहे हैं ? ' उसने उत्तर दिया कि-नेमिनाथ भगवान को नमन करने के
SR No.022138
Book TitleDharmratna Prakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantisuri, Labhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages350
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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