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प्रक्षुद्रगुण पर
(तब वह वामन.बोला कि) यह कार्य तो बिलकुल सरल है, यह कह कर वह राजा का आज्ञा ले बहुत से मित्रों सहित उनके घर जाकर विविध कथाए कहने लगा. . इतने में एक मित्र ने कहा कि हे मित्र! ऐसो बातों का काम नहीं, किन्नु कोई कान को सुख देने वाला चरित्र कह सुना, तब यामन कहने लगा।
जमोन रूप स्त्री के काल में मानो तिलक हो वैसा तिलकर नामक एक नगर था । वहाँ याचक लोगों के मनोरथ को पूर्ण करने बाला मणिरथ नामक राजा था।
पवित्र और प्रशंसनीय शील से निर्मल मालती को जीतने वाली मालता नामक उसको रानी थी। और उनका जगत् को वश में रखने वाला विक्रमी विक्रम नामक पुत्र था।
वह राजकुमार अपने महल के पड़ोस के किसी घर में किसी समय संध्या को किसी का बोला हुआ कर्ण मधुर (निम्नाििकत वाक्य) सुनने लगा।
अपना पुण्य कितना है उसका परिमाण, गुणों को वृद्धि तथा सुजन दुजंन का अन्तर (ये तोनों बातें) एक स्थान में रहने वाले मनुष्य से नहीं जानो जा सकतो--इससे चतुरजन पृथ्वी पर्यटन करते हैं।
उस उरोत वाक्य को समझ कर परिजन को परवाह किये बिना (भिन्न २) देशों को जाने के लिये उत्कंठित हो वह राजकुमार रात्रि में (चुपचाप) हाथ में तलवार लेकर शहर से बाहिर निकला. ___ उसने मार्ग में चलते हुए-सन्मुख मार्ग में एक सख्त घाव से जख्मी हुए और तृषा से पीड़ित मनुष्य को जमीन पर पड़ा. हुआ देखा।