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यशोधर की कथा
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बताती हुई धम से राजा के ऊपर गिर पड़ी और राजा के गले पर अंगूठा दबाकर उसे मार डाला। ___ अब राजा आत ध्यान में मरकर शैलंध्र पर्वत में मोर का बच्चा हुआ। उसे जय नामक शिकारी ने पकड़ लिया। उसे उसने नंदावाड़ ग्राम में चंड नामक तलार ( जेलर) को एक पाली सत्त लेकर बेच दिया । तलार ने उसे नृत्य कला सिखाई तथा अनेक जाति के रत्नों.की माला से उसका शृगार किया गया तथा उसके बहुत से पंख आये थे, इसलिये तलार ने उसको गुणधर राजा को भेंट कर दिया।
इस तरफ यशोधरा भी पुत्र की मृत्यु से आर्त ध्यान में पड़ कर उसी दिन मृत्यु को प्राप्त हो धन्यपुर में कुत्ते के अवतार में में उत्पन्न हुई। उस पवन वेग को जीतने वाले कुत्ते को भी उक्त नगर के राजा ने गुणधर राजा को भेट के तौर पर भेज दिया। इस प्रकार मोर का बच्चा व कुत्ता दोनों एक ही समय राजा गुणधर को मिले। __राजा ने हर्षित हो उन दोनों को पालकों के सिपुर्द किया। उन्होंने उनको राजा के विशेष प्रिय समझकर भली-भांति पाला । कालक्रम से वे दोनों मरकर दुष्प्रवेश नामक वन में नोलिया और सर्प हुए और वे एक दूसरे को भक्षण करके मर गये। ___ पश्चात् वे क्षिप्रा नदी में मत्स्य और शिशुमार के रूप में उत्पन्न हुए । उन्हें किसी मांसाहारी ने नदी प्रवेश करके मार डाला।
पश्चात् वे उज्जयिनी नगरी में मेंढ़े और बकरी के रूप में उत्पन्न हुए । उनको भी शिकारं में आसक्त गुणधर राजा ने मार डाला।