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________________ (१७०) मिश्र वचन बोलीने कडं के अज शब्दनो अर्थ बोकडो पण थाय बे, अने नेदांतरें व्रीहि पण थाय बे. एवं सांजलतांज तत्क्षण देवतायें पाटुप्रहारें करी वसुराजाने सिंहासनथी नीचे पाडी मारी ना. ख्यो, विपत्ति पामी मरीने नरकें गयो. पाउल पर्वत पण श्रायु पूर्ण थये नरकें गयो. नारद शील पाली सत्यवचनना प्रनावे देवलोके गयो, ए सत्यवचन उपर वसुराजानो दृष्टांत कह्यो ॥ ३२ ॥ हवे श्रदत्तादान व्रत कहे जे. मालिनीटत्तम् ॥तमनिलषति सहिस्तं - गीते समृद्धि, स्तमनिसरति कीर्तिर्मुच्यतेतं नवार्तिः॥स्पृहयतिसुगतिस्तं नेदतेजगतिस्तम्,परिहरतिविपत्तंयोनगृह्णात्यदत्तम्॥३३॥ अर्थः-(यः के०) जे पुरुष, (श्रदतं के०) नदीधेढुं एवं जे पारकुं वित्त तेने ( नगृह्णाति के०) न ग्रहण करे , ( तं के ) ते पुरुषने ( सिकिः के० ) मुक्ति, (अनिलषति के०) श्वा करे . वली (तंके) ते पुरुषने ( समृद्धिः के० ) चक्रित्वादि संपत्ति ते (वृणीते के०) वरे . तथा (तं के) ते
SR No.022132
Book TitleSindur Prakar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages390
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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