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श्री जिनायनमः
श्री सोमप्रजाचार्य विरचित श्री सिंदूर प्रकर
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आ ग्रंथ मूल, टीका, नाषा, बालावबोध अने कथा सहित बे.
तेने यथामति संसोधन करावीने, श्रावक, नीमसिंह माणकें
श्री मोहमयी पत्तन मध्ये निर्णयसागर छापखानामां छपावी प्रसिद्ध कर्मो के.
संवत् १९५८.सि
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वैशाख शुद्धि वयोवारRecogencyceo@ecoYOTATEMENT IN NEPAL