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________________ । १३२ ) कैसे होगा? अतः योगनिरोध करके जब कर्म बन्ध रोका जाय, तभी मोक्ष होगा। प्रश्न- पर आयुष्य पूर्ण होने पर शरीर आदि छूट जाने से मोक्ष होगा न ? उत्तर - नहीं। यदि जीवन के अन्तिम समय में योग हो, तो उसमे बांधा हुआ कर्म आत्मा पर खड़ा रहने से जीवन पूर्ण होने पर सर्व कर्म-क्षय कहां हुआ ? तो मोक्ष कसे होगा ? अतः आयुष्य पूर्णहोने पर शरीर के छट जाने से उस अन्तिम समय के बांधे हुए कर्म को भुगत लेने का साधन कहां है ? तो यदि यह कहा जाय कि 'अन्तिम समय में योग रोक दे अतः नया कर्म बन्ध नहीं होगा।' तो यह कहना ठीक नहीं, क्यों कि इस तरह यह कार्य असम्भव है। क्योंकि योगों को सम्पूर्ण रोकने की कार्यवाही एक समय में नहीं हो सकती। उसके लिए आत्म पुरुषार्थ करना पड़ता है, मन वचन काया के स्थूल व सूक्ष्म योगों को क्रमश: रोकने की क्रिया करनी पड़ती है, और वैसा करने में असंख्य समय लगते हैं । शैलेशी करणः-इसीलिए तो ज्ञानी ज्ञान से देख कर यह कहते है कि केवलज्ञानी जीव मोक्ष जाने के अति निकट के अन्तमुहूर्त काल में समस्त योगों को सम्पूर्ण रूप से रोक कर योगनिरोध की क्रिया करते हैं। इसे शैलेशी करण की क्रिया कहते हैं। आत्मा जहां तक योग सहित होता है, तब तक उसके प्रदेश (अंश) कंपनशील होते हैं, पर अब सम्पूर्ण योगनिरोध होने से आत्म-प्रदेश सर्वथा मेरु की तरह स्थिर हो जाते हैं । मेरु यह शैल (पर्वत) का ईश याने शैलेश कहा जाता है। जीव बिलकुल निष्प्रकंप होने से इस शैलेश जैसी अवस्था पर आरूढ होता है याने शैलेशीकरण करता है। इस शैलेशीकरण में अन्तमुहूर्त समय में योगों को रोकने यानी
SR No.022131
Book TitleDhyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDivyadarshan Karyalay
Publication Year1974
Total Pages330
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size18 MB
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