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________________ मैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. उप० २, लेशा नथि. एहनो अल्प बहुत्व सर्वथी थोडा त्रसकाया, तेहथि तेउकाया असंख्यातगुणा, तेहथि पृथ्वीकाया विशेषाहिया, तेहथि अपकाया विशेषाहिया, तेहथि वाउकाया विशेषाहिया, तेहथी अकाया अनंतगुणा, तेहथि वनस्पतिकाया अनंतगुणा, तेहथि सकायाविशेषाहिया, इति चोथो द्वार समाप्त.. १. सजोगीमां जीदना भेद १४.गुण० १३. उपल्युं एक नही. जोग १५. उप० १२. लेशा ६. २. मनजोगीमां जीवनो भेद १. संज्ञीनो प्रजातो. गुण० १३. जोग १४. एक कार्मणनो वर्जिने. उपयोग १२. लेशा ६. . ३. वचनजोगीमां जीवना भेद ५. बेइंद्रिय, तेइंद्रिय, चउरिद्रिय, असंज्ञीपंचेंद्रिय, ने संज्ञीपंचेंद्रिय ए ५ ना प्रजाप्ता. गुण० १३. जोग १४. कार्मणनो वर्जिने उप० १२. लेशा ६. ४. कायजोगीमां जीवना भेद १४. गुण० १३. जोग १५. उप० १२, लेशा ६. ५. अजोगीमां जीवनो भेद १ संज्ञीनो प्रजातो. गुणठाणुं १ चौदसुं. जोग नहि. उपयोग २ केवल ज्ञान ने केवलदर्शन. लेशा नथि. एहनो अल्पबहुत्व सर्वथि थोडा मन जोगी, तेहथि वचन जोगी असंख्यातगुणा, तेहथि अजोगी अनंतगुणा, तेहथि कायजोगी अनंतगणा, तेहथि सजोगी विशेषाहिया. इति पांचमो द्वार. १. सवेदीमां जीवना भेद १४. गुण० ९. प्रथमना जोग १५. उ० १० केवलज्ञान ने केवलदर्शन ए बे वर्जिने, लेशा ६, ३. स्त्रीवेद, पुरुषवेद, ए २ मां जीवना भेद २ संज्ञीमा. गुण०९ जोग पुरुषवेदमां १५ अने स्त्रीवेदमां १३ ते अहारकना चे बजिने उप० १०. लेशा ६.
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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