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________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. ४. मनुष्यनी गतिमां जीवना भेद ३ संज्ञीनो अप० ने प्रजातो. तथा सुछिममनुष्यना अप्र० गुण०१४.जोग०१५.उप०१२. लेसा६. ५. मनुष्यणीमां जीवना भेद २ संज्ञीना. गुण० १४. जोग १३ आहारकना ३ वर्जिने. उप १२. लेशा ६. ६. देवतानि गतिमां जीवना भेद ३ संज्ञीनो अप्र० १ ने मजातो २असंज्ञीनो अप० ए ३. गुण० ४ पहिला. जोग ११,४ मनना, ४ वचनना, २ वैक्रेयना, १ कार्मणनो. एवं ११ उप० ९. लेशा ६. ___७. देवांगनामां जीवना भेद २. संज्ञीनो अप्रजातो १ ने प्रजाप्तो २. गुण० ४ प्रथमना. जोग ११, ४ मनना ४ वचनना, २ वैक्रेयना ने १ कार्मणनो एवं ११. उपयोग ९. लेशा ४ प्रथमनी. ८. सिद्धगतिमा जीवना भेद नथि. गुणठाणा नथि. जोग नथि. उपयो० २, केवलज्ञान, केवलदर्शन. लेशा नथि. एहना अल्पबहुत्व. सर्वथि थेाडि मनुष्यणी. तेहथि मनुष्य समुछिम भेलवता असंख्यातगुणा, तेहथी नारकी असंख्यातगुणा, तेहथी तिर्यचणी असंख्यातगुणि,तेहथि देवता असंख्यातगुणा, तेहथि देवी संख्यातगुणी, तेहथि सिद्ध भगवंत अनंतगुणा, तेहथि तिर्यंच वनस्पति भेलवतां अनंतगुणा, इति बिजो द्वार, १. सइंदियमांजीवनाभेद १४. गुण० १२. प्रथमना, जोग १५. उपयोग १०. केवलज्ञान, केवलदर्शन ए २ वर्जीने. लेशा ६. २. एकेंद्रियमा जीवना भेद ४. सूक्ष्म एकेंद्रियनो अपजाप्तो ने प्रजातो. बादरएकेंद्रियनो अप्रजाप्तो ने प्रजातो. गुण० १ प्रथमनु. जोग ५ उदारिक, उदारिकनो मिश्र, वैक्रेय, वैक्रेयना मिश्र, कार्मणकायजोग, उपयोग ३. बे अज्ञान ने १ अचक्षु दर्शन. लेशा ४. ५. बेइंद्रिय, तेइंद्रिय, चउरिद्रिय, ए ३ मां जीवना भेद २.
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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