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जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. २२३ गुगा करिये तेबारे अनंता लोक अलोकमां थाय. अने ते अनंता लोकना जेटला आकाश प्रदेश छे तेटला निगोदना एक शरीरमांहि निगोदिया जीव छे. असंख्याता सुक्ष्म निगोदे १ बादर निगोद थाय. एक निगोदमां अनंता जीव जाणवा. ए त्रण प्रकारना अंगुल कह्या. त्रण प्रकारना पस्योपमनुं मान कहे छे तेमां पस्योपमना ३ भेद उद्धार पल्योपम, अद्वापस्योपम, क्षेत्र पल्योपम, एक एकना बबे भेद सुक्ष्म ने बादर प्रथम बादर उद्धार पल्योपमनुं स्वरुप कहे छे एक जोजननो उत्सेधांगुले लांबो पहोळो ने उंडो एहवो १ पालो कलपिये तेनी त्रिगुणि झाझेरी परिधि होय ते पालो देवकुरु उत्तरकुरुना जुगलीयाना मस्तकना केश ते एक दिनथी मांडिने ७ दिनना उग्या वालाग्रे करि भरिये, एहवो तो ठांसी भरिये के अनिमांहि बळे नहि, वायरे करी उडे नहि, पाणी करी सडे नहि, पोलारना अभावथि विध्वंशे नहि. दुर्गव थाय नहि, चक्रवर्तीनु सैन्य उपर चाले तोपण नमे के डोले नहि, गंगानदीनो प्रवाह उपर चाले तोपण पाणि मांहि भेदाय नहि. पालामाथि समये समये एक एक वाळा काढिये. एम काढतां जेटले काळे पालो खाली थाय अने बाकी एके रज रहे नहि तेटला काळने बादर उद्धार पल्योपम कहिये, ते पस्योपम संख्यात समयनो जाणवो एहवा दश क्रोडाक्रोडि पल्योपमे १ बादर उद्धार सागरोपम थाय, केवळ परुपणा मात्र छे ए बादर उद्धार पल्योपम. हवे सुक्ष्म उद्धार पल्योपमनुं मान कहे छे,जेम एक जोजननो पालो कल्पिये ते पूर्ववत् ते पालामांहि देवकुरु उत्तरकुरुना जुगलीयानामाथाना केश एकदिनथी सात दिनना उग्यावालाग्र लइये एकेका वालाग्रना असंख्याता खंड करीए ते खंड केवडानाहना थाय? चक्षु,इंद्रियनी अवघेणाथी असंख्यात्मे