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________________ जन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. २११ अनंतुं परवशपणुं, अनंतो शोक. दस कारणे देवतार्नु आयुष्य बंधाय. दश प्रकारे ज्ञानमां वृद्धि करनार नक्षत्रनां नाम. मृगसर, आर्द्रा, पुष्य, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढा, पूर्वाफाल्गुनी, मूळ, अश्लेषा, हस्त,चित्रा.ए दश नक्षत्रमा ज्ञान भणे तो वृद्धि थाय ने विघ्न जाय. अगीयारमे बोले महावरना ११ गणधरना नाम कहे छे इंद्रभुती, अग्निभुति, वायुभुति, व्यक्त्त, सुधर्मा स्वामी, मंडित पुत्र, मौरीपुत्र, अपित, अचळभ्राता, महेतार्य, प्रभास. - अगिआरमे बोले ज्ञानवधे ते कहे छे.उद्मम करता ज्ञान वधे.निद्रा तजे तो ज्ञानवधे,अणुदरीकरे तो ज्ञान वधे, थोडं बोले तो ज्ञान वधे, पंडितनी सोबत करे तो ज्ञान वधे,विनय करे तो ज्ञान वधे,कपट रहित तप करे तो ज्ञान वधे,संसारमा आसक्ति घटे तो ज्ञान वधे,माहोमांही चर्चा वार्ता करे तो ज्ञान वधे,ज्ञानी पासे भणे तो ज्ञान वधे,इंद्रीयोना विषयनो त्याग करे तो ज्ञान वधे, मुळनक्षत्रना अगीआर तारा छे. वारमे बोले बार कारणे आत्मानुं परम कल्याण थाय ते कहे छे-समफित निर्मळ पाळे तो आत्मानुं पाम कल्याण थाय-श्रेणीक राजानी पेरे १. नीयाणा रहीत करणा करे तो परम कल्याण थाय-तामल तापसनी पेरे २. मन वचन कायाना जोग कबजे राखे तो परम कल्याण थाय-गजसुकुमार मुनिनी पेरे ३. छती शक्तिए क्षमा करे तो परम कल्याण याय-परदेशी राजानी पेरे ४. पांच इंद्रीने दमन करे तो परम कल्याण थाय-धर्मरुची अणगारनी पेरे ५. साधुनो शुद्ध आचार पाळे तो परम कल्याण थाय-धना अणगारनी पेरे ६. धर्म उपर श्रद्धा पतित राखे तो परम कल्याण थाय-वरुण नाग नतुयाना मित्रनी पेरे ७. माया कपट छांडे तो परम कल्याण थाय-मलिनाथना छ
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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