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________________ षट् द्रव्यना बोक. पमे एक अवसप्पिणी, विश क्रोडाक्रोडि सागरोपमनो एक काळचक्र थाय.एहवा अनंता काळ चक्रे एक पुद्गल परावर्तन थाय.एहवा अनंता पुद्गल परावर्तननो अतीतकाळ गयो. वर्तनकाळ एक समयज. अनंत पुद्गल परावर्तननो आगमियो काळ आवशे.एम त्रण काळना समय अनंता. हवे पुद्गल द्रव्य पुरण गलन स्वभावे एक, गुण पर्याय प्रदेशथी अनेक. गुण अनंता, पर्याय अनंता, प्रदेश अनंता अनंता परमाणुया. अनंता द्वि प्रदेशीया. अनंता त्रिप्रदेशीया. अनंता चौ प्रदेशीया. अनंता पंच प्रदेशीया. एमयावत् अनंता संख्यात प्रदेशीया. अनंता असंख्यात प्रदेशीया. अनंता अनंत प्रदेशीया खंध छे ते माटे एक अनंत प्रदेशीया खंधमा अनंत प्रदेशीया प्रदेश के माटे पुद्गल अनंत प्रदेशी छे. जीवास्तिकाय चैतन्य लक्षण द्रव्यथी एक छे, गुण पर्याय प्रदेशथी अनेक. गुण अनंता. एक जीवना प्रदेश असंख्याता. एहवा आत्म द्रव्य छे. अने व्यवहार नये ? धर्म, अधर्म०, आकाश०, ए त्रणे एक. अने काळ पुद्गल ने जीव ए ३ द्रव्य अनेक छे सकलन भिन्न भिन्न प्रवर्तन अवस्थापणुं छे माटे अनंत ५. छ द्रव्यन क्षेत्र आधारसमान एक आकाश द्रव्य छे.शेष ५ द्रव्य क्षेत्रो आध्येय रहेवा योग्य वस्तु छे. ६. छ द्रव्य निश्चय स्वरुपे पोतपोतानी क्रिया रुपे तो षट् द्रव्य सक्रिय छे. चलण सहाय रुप १, स्थिर सहाय रुप २, आश्रय रुप ३, वर्तना रुप ४, पुरण गलन हानिद्धि रुप ५, उपयोग चैतन्य रुप ६ ए ६ सक्रिय अने व्यवहार नये गमनागमन पर रुष चलण क्रिया आश्रि पुद्गलने जीव ए २ सक्रिय शेष ४ द्रव्य अक्रिय. ७. छ द्रव्य निश्चय नये नित्य अने एक पक्षे छए अनित्य ते केम ? धर्मना, अधर्मना चार गुण छे तेमां पर्यायमां खंध लोक प्रमाणे नित्य छे. अने देश, प्रदेश,
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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