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१९० . नियंठाना बोल. वडिया. उपल्या बेथी अनंतगुण असंख्यात गुण, अनंतगुण हिण. हीणा ४. निग्रंथ ने स्नातक ए ६. हवे अधिक होय तो,अनंत आगल्या चारथी अनंतगुणा अ- भाग, असंख्यात भाग, संख्यात विक ने मांहोमांही तुल्य. ६. भाग, संख्यात गुण, असंख्यात अल्पबहुत्वद्वार. पहेले बोले स- | गुण, अनंतगुण अधिक ६. ए वथी थोडा पुलाक ने कषाय कु- षट गुणनीहानी वृद्धि जाणवी शीलना जघन्य पर्यव मांदोमांही ए द्वार १६ मो. तुल्य १. तेथी बीजे बोले पुला- १७ जोग द्वार. आगल्या कना उत्कृष्टा पर्यव अनंतगुणा ५ नियंठा सयोगी होय तो ३ २. तेथी बीजे बोले बकुस ने जोग होय, ने छठो स्नातक प्रतिसेवना जघन्य पर्यव मांहो- | सयोगी होय तो ३ जोग होयं मांही तुल्य ने अनंतगुणा ३. अजोगी होय तो जोग एके नहि. तेथीचोथे बोले बकुसना उत्कृष्टा | ए द्वार १७ मो. पर्यव अनंतगणा ४. तेथी पांचमे १८ उपयोग द्वार छ ए बोले प्रतिसेवनाना उ० पर्यव नियंठामां साकार उपयोगने अअनंतगुणा ५. तेथी छठे बोले णाकार उपयोग बंने लाभे ए कषाय कुशीलना पर्यव उ० अ. द्वार १८ मो. नंतगुणा ६.तेथी निग्रंथ ने स्ना- १९ कषाय द्वार. आगली तकना पर्यव मांहोमांही ३ चोकडोमां एके नियंठो न तुल्य ने अनंतगुणा ७. छठाण लाभे. संजवलनी १ चोकडी वडिया ते शुं ? हीणो होय के आगल्या त्रण नियंठामा होय. अधिको होय. जो हिणो होय अने कषाय कुशीलमां संजवलना तो अनंत भाग, असंख्यातभाग, चारे होय. अने जो ३ होय तो संख्यात भाग, संख्यात गुण, क्रोध वर्जीने, बे होय तो मान