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खंडा जोयणना बोल.
जइये तिहां उमगजला नदी आवे ते त्रण जोजनना पहोटमां छे ते मांहि हाथि घोडां बळद मनुष्यनुं कलेवर कचरो पडे तेने त्रिण वार भमाडि उछाळी नांखे ते कारणे उमगजला कहिये विहांयी २ जोजन आघा जइये तिहां निमगजला नदी छे ते ३ जोजनना पहोमां छे ते मांहि हाथि घोडा मनुष्य बलदनुं कलेवर अनेरुं पुद्गल पडे तेने गवार भमाडिने हेतुं बेसाडे ते कारणे निमगजला कहिये. शेष ३२ दिर्घ वैता महा विदेह क्षेत्र मांहि छे ते पण ए सरिखा छे पण बाहा, जीवा, धनुष पिठ नथी पलंगने आकारे छे. हवे ४ वाटला वैता कहे छे. सदावइ, विडावइ, गंधावर, ने मालवंत, ए ४ वाटला वैताद जुगलियाना क्षेत्रमां छे ते १ हजार जोजनना उंचा छे २५० जोजनना धरती मांहि डंडा छे मूळे १ हजार जोजनना लांबा ने पहोळा छे धानना कोठारने आकारे छे तेनी ३१६२ जोजन ज्ञाझेरानि परिधि छे श्वेत वर्णे छे. एवं सर्व मळीने २६९ पर्वत थय । इति चोथो पर्वत द्वार समाप्तं.
हवे ५ मो कुट द्वार कहे छे. कुडाय क० जंबुद्विप मांहि ५२५ कुट छे ते मांहि ४६७ कुट पर्वत उपरे छे तेहनो विवरो कहे छे ३४ दिघे वैताठ, निषठ, निलवंत अने मेरु एवं ३७ पर्वत अने विज्जुप्रभ, मालवंत, ए २ गजदंता ए ३९ पर्वत उपरे नव नव कुट छे. ३९ ने नवे गुणता ३५१ कुट थाय. चुलहिमवंत ने शिखरि ए२ पर्वत उपरे अग्यार अग्वार कुट छे एवं २२. महाहिमवंत ने रूपि ए २ पर्वत उपरे आठ आठ कुट छे एवं १६ कुट. सोल वखारा पर्वत उपरे चार चार कुट छे एवं ६४ कुट. सोमनस ने गंधमादन ए २ गजदंता उपरे सातसात कुट छे एवं १४ कुट. एवं सर्व मळीने ४६७ पर्वत उपरना थया, अने शेष ५८ कुट भूमि उपरना छे ते कहे
कुट