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________________ १५० खंडा जोयणना बोल. जोजन ने ४ कळा, महाविदेह क्षेत्रनु विखंभपणुं ३३६८४ जोजन ने ४ कळा, तेहनो वाहा ३३७६७ जोजन ने ७ कळा, तेहनी जीवा १ लाख जोजननी तेहनी धनूषपिठ १५८११३ जोजन ने १६ कळा झाझेरि.देवकुरु, उत्तरकुरु ए २ क्षेत्रनुं विखंभपणुं ११८४२ जोजन ने २ कलावं, तेहनी बाहा नथी तेहनी जीवा ५३००० जोजननी तेहनी धनूषापठ ६०४१८ जोजन ने १२ कळा. इति त्रिजो वासा द्वार समाप्तं. __ हवे चोथो पव्वय द्वार छे.पव्वय क०जंबुद्विपने विषे २६९ पर्वत छे.ते कहे छे-६ वर्षधर पर्वत, १ मेरु,१ चित्त,१ विचित्तो,१जमक, १ समक,२०० कंचनगिरि,४ गजदंता,१६ वखारा,३४ लांबा वैताढ, ४ वाटला वैताद, एवं सर्व मळीने २६९ पर्वत छे. तेहनु उंचपणुं, उंडपणु, विखंभपणुं, बाहा, जीवा, धनूषपिठ, कहे छे. चुलहिमवंत, ने शिखरि ए २ पर्वत सो सो जोजनना उंचा छे, अने पचीस पचीस जोजनना धरतीमां उंडा छे, तेमनुं पहोलपणुं १०५२ जोजन ने १२ कला, तेमनी बाहा ५३५० जोजन ने १५ कळा, तेमनी जीदा २४९३२ जोजन ने अर्द्ध कळा माठेरी,तेमनी धनूषपिठ २५२३० जोजन ने ४ कळा. महाहिमवंत ने रुपिए २ पर्वत वसे बसे जोजननां उंचा अने पचास पचास जोजनना धरतीमां उंडा छे, तेमनुं विखभपणु ४२१० जोजन ने १० कळानु, तेमनी बाहा ९२७६ जोजन ने ९ कळा, तेमनी जीवा ५३९३१ जोजन ने ६ कळा झाझेरी,तेमनी धनूषपिठ ५७२९३ जोजन ने १० कळा, निषढ अने निलवंत ए २ पर्वत चारसो चारसो जोजनना उंचा छे, अने सो सो जोजनना धरतीमां उंडा छे, तेमनु विखंभपणु १६८४२ जोजन ने २ कळानु,तेमनी बाहा २०१६५ जोजन ने२ कळा,तेमनी जीवा९४१५६
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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