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खंडा जोयणना बोल. दक्षिण दिशाना असंख्यातगुणा कारणके, तिर्यच पंचेंद्रिय प्रमुख घणा उपजे छे ते माटे. नवमा देवलोकथी मांडिने सर्वार्थसिद्ध विमान लगे ४ दिशे सरिखा जाणवा. कारण के, सर्व ठेकाणे मनुष्य उपजे छे ते माटे. इति दिशाणुवाइ समाप्तं.
अथ श्री खंडा जोयणना बोल.
खंडा जोयणादि १० बोलनो विचार विचारीए छीए. जंबुद्विप १ लाख जोजननो लांबो ने पहोलो छे ते वाटलो तेलना पुडलाने आकारे छे. वाटलो रथना पइडाने आकारे छे. वाटलो कमलनी कणिकाने आकारे छे. वाटलो पूर्ण चंद्रमाने आकारे छे. तेनी परिधी ३ लाख १६ हजार २२७ जोजन ३ कोस १२८ धनुष ने साडातेर अंगुल झाझेरानी छे. हवे जंबुद्विप १० द्वारे करी वखाणे छे. गाथा खंडा १,जोयण २,वासा ३,पव्वय ४, कुडाय ५ तिच्छ ६, सेढिओ ७. विजय ८, दह ९,सलिलाउ १०, पिंड एहोइ संघहणी ॥१॥
ए दश द्वार छे तेमां प्रथम खंडा द्वार कहे छे. जंबुद्विपना भरत सरिखा २९० खांडवा छे ते कहे छे भरतक्षेत्रनुं ? खांडवू, चुल हिमवंत पर्वतना २ खांडवा, हेमवय क्षेत्रना ४ खांडवा, महा हिमवंत पर्वतना ८ खांडवा, हरिवास क्षेत्रना १६ खांडवा, निषढ पर्वतना ३२ खांडवा, महाविदेह क्षेत्रना ६४ खांडवा, निलवंत पर्वतना ३२ खांडवा, रमकवास क्षेत्रना १६ खांडवा, रूपि पर्वतमा ८ खांडवा, एग्णवय क्षेत्रना ४ खांडवा, शिखरि पर्वतना २ खांडवा, इरवत क्षेत्रनुं १ खांडवु एवं सर्व मळीने विखंभ पहोलपणे दक्षिण उत्तरे