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________________ १३२ पांच बोल. छठे बोले आत्मरक्षक कहे छे. सामानिकथी चोगुणा जाणवा. सातमे विमानना भोयतळीयान जाडपणुं कहे छे. पहेला बिजा देवलोकनुं तळीयु २७०० जोजन- जाडु, त्रिजा चोथा देवलोकन वळीयु २६०० जोजननु जाडं, पांचमां छठा देवलोकनुतळीयु २५०० जोजननु जाडु, सातमा आठमा देवलोकन तळीयुं २४०० जोजननं जाई. नवमां, दशमां, इग्यारमां, बारमां देवलोकनुं तळीयुं २३०० जोजन- जाडु, नव ग्रैवेयकनुं तळीयु २२०० जोजननुं जाई छे, पांच अनुत्तर विमाननु तळीयुं २१०० जोजन- जाडुं छे. ___ आठमे महोलनु उंचपणु कहे छे. पहेला बिजा देवलोकना ५०० जोजनना उंचा महोल, विजा चोथा देवलोकना ६०० जोजनना उंचा महोल, पाचमा छठा देवलोकना ७०० जोजनना उंचा महोल, सातमां आठमां देवलोकना ८०० जोजनना उंचा महोल, नवमां दशमां इग्यारमा ने वारमा देवलोकना ९०० जोजनना उंचा महोल, नव ग्रैवेयकना १००० जोजनना उंचा महोल, पांच अनुत्तर विमानना ११००जोजनना उंचा महोल, हवे प्रतर कहे छे.पहेले विजे देवलोके १३ प्रतर छे. त्रिजे चोथे देवलोके १२ प्रतर छे, पांचमे देवलोके ६ प्रतर, छठे देवलोके ५ प्रतर, सातमे, आठमे, नवमे, दशमे, इग्यारमे ने बारमे ए ६ देवलोके चार चार प्रतर छे. नवग्रैवेकमां ९ प्रतर, पांच अनुत्तर विमाननो.१ प्रतर, ए सर्व मळी ६२ प्रतर जाणवा. नवमे पुष्फाविकीर्ण विमान कहे छे. चोरासीलाख नेवासीहजार एकसो ओगणपचास पुष्फाविकीर्ण विमान जाणवा. दशमे आलिका बंध विमान अठोतेरसो ने चुमोतेर जाणवा. हवे ११ मे परिषद कहे छे.पहेला देवलोकना इंद्रने ३ परिषद.पहेलीना १२ हजार देवता, बीजीना १४ हजार देवता, त्रिजीना
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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