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________________ [ ६ ] • चतुर्विध संघ में विविध तपश्चर्या. (१) पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी म. सा. ने श्री महानिशिथ सूत्र के योग किया । ( २ ) पूज्य मुनिराज श्री अरिहंतविजयजी म. सा. ने श्री वर्द्धमानतप की १५ वीं ओली की । (३) पूज्य साध्वी श्री विचक्षणाश्रीजी म. ने अट्ठाई (आठ उपवास) तप किया । (४) पूज्य साध्वी श्री भाग्यलताश्रीजी म. ने चातुर्मास दरम्यान बारह उपरान्त अट्टम किये । (५) पूज्य सा. श्री आनन्दश्रीजी म. ने ५०० आयंबिल चालू । (६) पूज्य सा. श्री किरण मालाश्रीजी म. ने ५०० आयंबिल चालू (७) पूज्य सा. श्री जयप्रज्ञाश्रीजी म. ने ५०० आयंबिल चालू | (८) पूज्य साध्वी श्री भव्यगुणाश्रीजी म. ने श्रीवीशस्थानक तप की १६वीं ओली की । ( 8 ) पूज्य साध्वी श्री दिव्यप्रज्ञाश्रीजी म. ने श्री वर्द्धमान तप की ३४ वीं ओली की । (१०) पूज्म साध्वी श्री शीलगुणाश्रीजी म. ने श्री वर्द्धमान तप की ३३ वीं ओली की । तदुपरांत अट्ठाई भी की । (११) पूज्य साध्वी श्री कुसुमप्रभाश्रीजी म. ने ६ उपवास का तप किया ।
SR No.022127
Book TitleKulak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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