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वराग्य कुलकम्
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वैराग्य कुलकम् ॥ हिन्दी सरलार्थ युक्तम् ।
अर्थकर्ता-प्राचार्य श्रीमद्विजयसुशीलसूरिः
जम्म--जरा-मरणजले, नाणाविहवाहिजलयराइन्ने। भवसायरे असारे, दुल्लहो खलु माणुसो जम्मो॥१॥
अर्थ-जन्म जरा (वृद्धावस्था) और मरणरुप जलवाले तथा विविध प्रकार के व्याधिरूप जलचर जीवों से भरे हुए इस असार संसार रुप सागर में मनुष्य-मानव जन्म की प्राप्ति
अवश्य दुर्लभ है ॥१॥ तम्मि वि पायरियखित्तं, जाइ--कुल-रुव--संपयाउय । चिंतामणिसारित्थो, दुल्लहो धम्मो य जिणभणियो॥२॥
अर्थ-उसमें ( मनुष्य जन्म में) भी आर्यक्षेत्र, उत्तम जाति, उत्तम कुल, उत्तम रुप और सम्पदा प्राप्त होने पर भी चिन्ता मणिरत्न समान जिनभाषित धर्म (जैन धर्म) मिलना दुर्लभ है ॥ २॥