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इरियावहि कुलकम्
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उन्हें मन वचन तथा काया से गुणा करने पर तैतीस हजार सात सौ अस्सी भेद हुए ॥ १० ॥ करण कारणअणुमईइ संजोडिया,
एगलख सहसइग तिसय चालीसया । कालति गणिय तिगलक्ख चउ सहसया,
वीसहित्र इरियमिच्छामिदुक्कडपया ॥११॥ ., पुनः उन्हें करना, कराना तथा अनुमोदनाः इन तीनों से गुणा करने पर एक लाख एक हजार तीन सौ चालीस भेद हुए, उन्हें तीन कालों से पुनः गुणा करने पर तीन लाख चार हजार और बीस भेद हुए उन प्रत्येक को 'मिच्छामि दुक्कड' देने से इरियावहि के मिच्छामि दुक्कडं के उतने ही स्थान हुए ॥ ११ ॥ इणि परि चउरगइ माहिं जे जीवया,
कम्मपरिपाकि नवनविय जोणीठिया । ताह सव्वाह कर करिय सिर उप्परे,
देमि मिच्छामि दुक्कड बहु बहु परे ॥१२॥