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पुण्य-पाप कुलकम्
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॥ पुण्य-पाप कुलकम् ॥
छत्तीस दिसहस्सा, वासस होइ उपरिमाणं ।
झिज्यंतं पइसमयं, पिच्छ
धम्मम्मि जइ श्रव्वं
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सौ वर्ष के आयुष्य वाले को छत्तीस हजार दिन का प्रमाण होता है । वह समय समय पर कम होता जाता है, यह जानकर धर्म में यत्न करना चाहिये ॥
१ ॥
जइ पोसह सही,
तव नियमगुणेहिं - गम्मइ एगदिणं ।
ता बंधइ देवाउ,
इत्तियमित्ताई पलियाई
॥२॥
जो कोई जीव पोसह पूर्वक तप करे और पाप का त्याग करें तथा इन गुणों से युक्त एक दिन भी व्यतीत करें तो तीसरी गाथा में वर्णित पल्योपम आयुष्य देवगति का प्राप्त करता है ॥२॥