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उल्लास] श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. श्रीनेमिनाथप्रभुना नव भव
धनराजा सोहमदेव, चित्रगति खेचरेन्द्र । चोथे माहेन्द्र सुर थया, अपराजित देवेन्द्र ॥१२॥ आरणदेव छट्ठा भवे, सुपइट्ठ अहवा शंख । अपराजित विमाने जइ, नवमे नेमि निशंक ॥१३॥ श्रीपार्श्वनाथप्रभुना दश भवमरुभूति पहले भवे, कमठनो जे लघुभ्रात । हाथी भव बीजो थयो, सहस्रार तिय जात ॥१४॥ चोथो भव खेचरेन्द्र, अच्युत पंचम जोय । छढे नरपति सातमे, अवेयक सुर होय ॥१५॥ आठमे राजा प्राणते, दशमे पारसनाथ । फणिधर लंछन जेहनो, शोभे सुंदर साथ ॥१६॥ श्रीमहावीरप्रभुना सत्तावीस भवनयसार सोहम सुरा, मरीचि बीजे जाण । ब्रह्मसुर चोथे भवे, पंचम कौशिक माण ॥१७॥ १ धनवती सुधर्मदेव, रत्नवती माहेन्द्र । . प्रीतिमती आरणसुरा, यशोमती गुणकेन्द्र ॥ १ ॥ अपराजित राजीमती, नेमि प्रिया सुखरेह । . प्रभुसंगे भव नव कर्या, राजिमती सुसनेह ॥ २ ॥