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________________ उल्लास ] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. चन्द्रपुरी काकंदी ने, भदिल सिंहपुर होय । चंपापुरी कांपिल्यपुर, अयोध्या वली जोय ॥१२७॥ रत्नपुर गजपुर गजपुर, गजपुर मिथिला जान । राजगृह मिथिलापुरी, सौरीपुर प्रियमान ॥१२८ ॥ वाराणसी कुंडपुर वा, क्षत्रियकुंडज होय ।। ऋषभादि जिन अनुक्रमे, नगरी जन्मनी जोय ॥१२९॥ ३२ जिनेश्वरोनी माताओऋषभादिक माता क्रम, मरुदेवी परसिद्ध । विजया सेना सिद्धार्था, मंगला पंचम लिद्ध ॥ १३० ॥ सुसीमा पृथिवी लक्ष्मणा, रामा नंदा जान । विष्णु जया श्यामा वलि, सुयशा सुव्रता मान ॥१३१॥ अचिरा श्री देवी अरू, प्रभावती सुखकार । पद्मावती वप्रा शिवा. वामा त्रिशला धार ॥१३२ ॥ ३३ जिनेश्वरोना पिताओनाभि जितशत्रु जितारि, संवर मेघरथ-राय । धर प्रतिष्ठ महासेन हु, सुग्रीव दृढरथ पाय ॥१३३ ॥ विष्णु वसुपूज्य कृतवर्म, सिंहसेन भानु-भूप । विश्वसेन सूर सुदर्शन, कुंभ सुमित्र-अनूप ॥१३४ ॥ विजय समुद्रविजयनृप, अश्वसेन-भूपाल । सिद्धार्थ भूपति नरवइ, जिनवर जनक विशाल ॥१३५॥
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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