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९० पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [द्वितीय३४ जिनेश्वरोनी माताओनी गतिऋषभादिक जिन आठनी, माता मुगती जाय । सुविधिथी अड जिन तणी, तृतीय कल्प सिधाय ॥१३६॥ कुंथु प्रमुख जिन सातनी, मात गई माहेन्द्र । चोथे बारमे वीरनी, भाषे सूरिराजेन्द्र ॥१३७ ॥ ३५ जिनेश्वरोना पिताओनी गतिनाभी नागकुमार में, अजितादिक जिन सात । जनक ईशाने गया, धारो शास्त्र दिल बात ॥ १३८ ॥ सुविधि आदि अड तीसरे, कुंथु सात माहेन्द्र । सिद्धारथ चोथे बारमे, मतांतर एह मुनीन्द्र ॥१३९ ॥ ३६-३७ छप्पन दिक्कुमारी अने तेओना कृत्यमेरु अधो गजदंता चारने, अधोलोकनी अड़ कुमारीजी। ऊर्ध्वलोके मेरुनंदन कूटा,अष्टनी आठो वसनारी जी॥१४०॥ चारो दिशिना रुचकगिरिनी, आठ आठ ए लीजे जी । विदिगुरुचकनी चार तिम मध्यनी, सात आठ गुणी कीजेजी॥ ए छप्पन दिक्कुमारीना कारज, आठ कह्या ते जाणो जी संवर्त्तवायु मेघनी वृष्टि, कांच भंगार वरवाणो जी ॥१४२॥ बींजना चामर दीपकधारी, रक्षा करे इम जाणो जी। सहु जिनवरना जन्मना टाणे, काम करी गीत गाबे जी ॥१४३॥