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श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी.
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श्रावणसुदि पूनम सुव्रत, आसो पूनम तेम । नेमि कातिवद बारसे, चोथ चैत्र वदि जेम ॥ ६८ ॥ आषाढसुदि छट्ठे चवे, चरम जिनेश्वर वीर । चवन तिथि मासा कला, शास्त्रे जिनपति वीर ॥ ६९ ॥ १५ जिनेश्वरोना च्यवन नक्षत्र
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[ प्रथम
उत्तराषाढा रोहिणी, मृगशिर पुनर्वसु जान । मघा चित्रा विशाखा अरु, अनुराधा मुल मान ॥ ७० ॥ पूर्वाषाढा श्रवण शतभिषग् उत्तरभद्द रेवर पुष्य । भरणी कृत्तिका रेवती, अश्विनी श्रवण प्रशस्य ॥ ७१ ॥ अश्विनी चित्रा जानिये, च्यवन नक्षत्र विचार | विशाखोत्तरफाल्गुनी, क्रमसे चउवीस धार ॥ ७२ ॥
१६ जिनेश्वरोनी च्यवन राशि
धन वृष मिथुन मिथुन सिंह, कन्या तुल अलि धन्न । धन मकर घट मीन मीन, कर्क मेष वृष मन्न ॥ ७३ ॥
मीन मेष ने मकर मेष, कन्या तुल क्रम जान | कन्याराशी च्यवन में, ऋषभादिकनी मान ॥ ७४ ॥ १७ जिनेश्वरोनो च्यवन समय
अर्द्धरात्रि में सहु चव्या, चोवीसे जिनराज । एक समय भरहेरवंय, सरखो एह समाज ॥ ७५ ॥
१ मास समय रिख चवनना, भाष्या छे जिम एह । तिम भरतादि दश क्षेत्रमां सरखा जाणी लेह ॥ १ ॥