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उल्लास] श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. १३ जिनेश्वरोना पूर्वभवनो आयुअयर तेंतीस सर्वार्थमें, अपराजित जयंत । आयु प्राणत बीसनो, दुवीस अचुय महंत ॥६० ॥ सहस्रारे अढारनो, उगणिस आनत जान । छडे गेविज अडविसर्नु, सप्तम गुणतिस मान ॥ ६१ ॥ नवमे इकतीस कह्यो, उत्कृष्ट थिति छे एह । धर्मनाथ बत्तीसनो, मध्यम आयु सुलेह ॥ ६२॥ १४ जिनेश्वरोनी च्यवन-मासतिथी
आषाढ वदि चोथे ऋषभ, चवे सुदि वैशाख । तेरस अजित फाल्गुनसुदि, आठम संभव भाख ॥ ६३॥ वैशाखसुदि चोथे चवे, श्रावणसुदिनी बीज । पद्म महावदि छट्टमें, आठम भाद्रव लीज ॥ ६४ ॥ चन्द्र चैत्रवदि पंचमी, फाल्गुनवद नोमि जान। वैशाखवदि छठे शीतल, वदि ज्येष्ठ छठ मान ॥ ६५ ॥ ज्येष्ठसुदि नवमी तहा, सुदि बारस वैशाख । अनंत श्रावणवदि सातमे, सातम सुदी वैशाख ॥ ६६ ॥ भाद्रववदि सातम दिने, श्रावणवदि नोमि सार । अर फागुणसुदि बीजको, चोथ में मल्लि धार ॥ ६७ ॥