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परिशिष्ट-२ स्तवपरिज्ञापद्यानामकारादिक्रमः
परिशिष्ट - २ स्तवपरिज्ञापद्यानामकारादिक्रमः
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अकसिणपवत्तगाणं अग्गाहारे बहुगा अग्गी मा एआओ अण्णे उ कसाईया अत्थि जओ ण य अद्दिस्सकत्तिगं अपडिवडियसुहचिंता. अप्पविरियस्स पढमो अप्पा च होइ एसा अलमेत्थ पसंगेणं असुहतरंडुत्तरणप्पाओ अस्सीलो ण य अह तेसिं परिणाम अह तंण एत्थ अह तं ण वेइयं अह पाठोभिमउच्चिय अहिगणिवित्ति वि आणापरतंतो सो सा आराहगो य जीवो आरंभच्चाएणं आरंभवओ वि इमा आहेवं हिंसावि हु
इतरम्मि कसाईआ इयरा उ अभिणिवेसा इय आगमजुत्तीहि इय कयकिच्चेहितो इय दिट्टेट्ठविरुद्ध जं इय मद्दवाइजोगा इय सव्वेणं वि सम्म इहरा अणत्थगं इह मोहविसं घायइ इंदीवरम्मि दीवो उचियाणुट्ठाणाओ उद्दिट्ठकडं भुंजइ उवगाराभावे वि उस्सुत्ता पुण बाहइ ऊणत्तं न कयाइवि एएहितो अण्णे एअंच भावसाहुं विहाय एगिंदियाइभेओऽवित्थं एगिदियाइ अह एत्तो चिय णिद्दिट्ठो एत्तो च्चिय णिदिट्ठो एत्तो च्चिय णिद्दोसं
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