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अधिकार.]
चित्तदमनाधिकार
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करनेका जो उपाय बताया गया है उसको कार्य्यरूपमें प्रणीत कर अजमाना चाहिये । शुद्ध वर्तन और भावनाकी ओर मनको प्रेरीत करना चाहिये । एक समय लायन ( line ) में पड़जानेके पश्चात् भागे किस प्रकार बदना वह अपने आप मालूम हो जा. यगा । अन्तमें "मन सिद्ध किया उसने सब कुछ सिद्ध किया।"
इति सविवरणश्चित्सदमननामा नवमोऽधिकारः ॥