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अधिकार ] । कषायत्याग ही जो अहंकार करते हैं वे नहीं होनेवाली वस्तुके लिये भी करते हैं इसे Vanity, Hypocrisy कहते हैं । अहंकारका गर्व रखनेके अलावा भी दंभ करना अधिक बुरा है । वर्तमान समयमें पुरुष अधिक दंभी होते हैं। दूसरी बात ध्यानमें रखनेकी यह है कि वर्तमान युग कितने ही दुर्गुणोंको सद्गुणों में गिना जाता है । किरने ही पुरुष स्वव्याक्त स्थापन ( Self-respect ) अथवा जातियमानके नामसे बहुत अहंकार करते हैं। इस विषयमें विशेषतया सचेत रहनेकी आवश्यकता है । इसमें क्या खूबी है इसके देखनेकी जरूरत है । अपनी जातिके विचारको दूर फेंक दो, इससे यह प्रयोजन कदापि नहीं है कि अपमानके पात्र बन जाओ; परन्तु ऐसा दिखाव करते समय जो अहंभाव औं जाता है उसके लिये पूरा ध्यान रखना चाहिये । अहंकार तथा दंभ भनेक प्रकार के होते हैं । शास्त्रकार मद आठ प्रकार के होना प्रगट करते हैं, जिनका ऊपर वर्णन हो चुका है और वे मद करनेसे दुखी हुए प्राणियों के दृष्टांत भी साथ ही साथ दिये गये हैं। वर्तमान युगमें इनसे सचेत रहनेकी विशेष जरुरत है । भवभावनामें एक उजितकुमारकी कथा है वह इस विषयमें ध्यानमें रखने योग्य है । मानसे विनयका नाश हो जाता है, ऐंठ कर चलने की इच्छा होती है। इसलिये मनुष्य अभिमानी पुरुषके साथ सम्बन्ध कम कर देते हैं । भले पुरुष! सम्पूर्ण संसारमें हिन्दुस्तान क्या ? उसमें मेवाड़ क्या ?
और उसमें तेरा ग्राम क्या ? आधुनिक गिनती प्रमाणे संसारमें लगभग एक अरब और साठ करोड़ पुरुष हैं उनमेंसे एक भी पुरुष सौ वरस पश्चात् यहाँ नहीं रह सकेगा तो फिर तुं क्या देख कर अहंकार करता है ? अन्तकी गाथामें कहेअनुसार तेरेमें ऐसा
१ इस अधिकारके १७ वे श्लोकके नोटको देखिये । ..