SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रण वालावबोध सहित जु करई । धन्ना किवि केई एक धन्य कृतपुण्य पुरुष पावपब्वेसु. पापोत्सविइ आविइ हूंतइ सुद्ध धर्म हूंतउ जीक्दयामूल धर्म हूंतउ न चलंति न डोलई । तिणि कारणि उत्तम अनइ जघन्य संसर्गि न लीजइ ॥२९॥ [मे.] उत्कृष्ट पापना धणी धार्मिक पर्युषणाप्रमुख पर्व आव्ये हूंते 5 पापनइ विषइ रत हुई। केई एक धन्य कृतार्थ पापपर्व आव्ये. हूंते धर्म हूंता न चालई न डोलई ॥२९॥ - [सो.] हव लक्ष्मी ऊपरि वात कहई। [जि.] लक्ष्मीना बे भेद देखालइ । लच्छी वि हवइ दुविहा एगा पुरिसाण खवई गुणरिद्वी ।० एगा य उल्लसंती अपुण्णपुग्णाणुभावाओ॥३०॥ [सो.] लच्छी वि० लक्ष्मीइ संसारमाहि बिहु प्रकारि हुइ। एगा. एक लक्ष्मी आवती हुंती पुरुषहूई गुणरूपिणी ऋद्धि क्षेपइ नीगमइ । लक्ष्मी हुइ, पूठिई हियानउ धर्म जाइ। अनइ विनय विवेक गांभीर्य दाक्षिण्यादिक पुर्ण जाइं । गर्वांधित थिउ हीडइ । एगा य०15 अनइ एक भाग्यवंतनइ लक्ष्मी हुइ, पूठिइं विनय विवेक दाक्षिण्यादिक गुण उल्लंसई । धर्म ऊपरि मन आवइ । भारेखम गंभीरपणउं आवई । बिहु रिद्धिनउं कारण कहइ छइ। अपुण्ण जे अभागीआनई लक्ष्मी हुइ छइ ते पाछिलइ भवि कांइ पापनउँ बंधिउं जीवदयारहित पंचाग्नि माघस्नानादिक अज्ञान कष्टरूप पुण्य तेहनई प्रभाविई हुई । तेह लंगी० पाप करी आघउ मरी दुर्गतिइं जाई । संसारि रुलई । अनइ जे धर्म १ कहइ छइ. २ खिवइ. ३ रहइं ४ पूठि. ५ गांभीर्यादि. ६ गुण. ७ भारेखमी. ८ पापानुबंधिउं. ९ पुण्यनइं.
SR No.022082
Book TitleShashti Shatak Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
PublisherMaharaja Sayajirav Vishvavidyalay
Publication Year1953
Total Pages238
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy