________________
॥ रत्नसार ॥ (१९१) गुण ठाणा १३मां ताई. मोहनि नो बंध गुण ठाणा नव मांतांइ.आयू कर्म बंध गुणठाणा७मां तांइ. नाम कर्म नो बन्ध गुण ठाणा १०मां तांई.गोत्र कर्म नो बन्ध गुण ठाणा १० मां ताई. अन्तराय कर्म नो बन्ध१०मां ताई. इति.
२५९. अथ ज्ञानार्वीण कर्म नो उदय गुण ठाणा १२. मां ताई. दर्शनावर्णी कर्म नो उदय १२ मां ताई. वेदनी कर्म नो उदय गुण ठाणा १४ मां ताई. मोहनी कर्म नो उदय गुण ठाणा १०मां ताई. श्रायु कर्म नो उदय गुण ठाणा १४मां ताई. नाम कर्म ना उदय गुण ठाणा चवदमां ताई. गोत्र कर्म नो उदय गुण ठाणा १४ मां तांई. अंतराय कर्म नो उदय गुण ठाणा १२ मां ताई.
___२६०. अथ हिवै ज्ञानावर्णी उदीरणा गुण ठाणा १२ मां ताई. दर्शनावर्णी उदीरणा गुण ठाणा १२ मां ताई. वेदनी कर्म उदीरणा गुणठाणा६ठा ताई. मोहनी कर्म उदीरणा गुण ठाणा १० मां ताई. आयु कर्म उदीरणा गुण ठाण ६ ठा ताई. नाम कर्म उदीरणा