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लघ्वर्हन्नीति
सर्वथा स्वहितोद्युक्तैः सदा त्याज्याः परस्त्रियः।
पश्येतस्याः प्रभावेण प्रणष्टा रावणादयः॥२५॥ सब प्रकार से अपना हित चाहने वालों द्वारा परायी स्त्रियाँ सदा त्याग के योग्य हैं। (यह) देखना चाहिये इस (स्त्री) के प्रभाव से रावण आदि नष्ट हो गये।
इत्येवं वर्णिता नारीग्रहचिन्ता समासतः।
विशेषो बृहदर्हन्नीतिशास्त्राद्बोध्य आदरात्॥२६॥ इस प्रकार संक्षेप में (परायी) स्त्रीग्रहण विचार संक्षेप में वर्णित किया गया। विशेष बृहदहन्नीति से आदरपूर्वक जानना चाहिए।
॥ इति स्त्रीग्रहप्रकरणम् सम्पूर्णम्।।