________________
(३३) नो नहीं
नरकस्य नरकनी. निधनागमः मोत आव चित्ते-चित्तमां च-बली
व्यचिंति-विचारी दारा स्त्री
नित्यं हमेशां न नहीं
मयका में हुं जे तेणे कारा-बेमी: ख
। अधमेन-नीच एवा सन्नोगलीला न च रोगकीला, धनागमो नो निधनागमश्च; दारा न कारा नरकस्य चित्ते, व्यचिंति नित्यं मयका ऽधमेन ॥२०॥
शब्दार्थः-नीच एवा में हमेशां मनने विधे सारा नोगनी क्रीमानो विचार कर्यों पण तेथी थता रोगरूप खीलानो विचार न कर्यो, धन मेलवानो विचार कर्यो, पण मोंत पावशे एवो विचार न कर्यो, स्त्रीनो विचार कयों पण नरकना फुःखनो विचार न को. ॥२०॥
व्याख्याः -हे पुरुषोत्तम ! अधमेन के अधम एवो मयका के हुँ जे-तणे, नित्यं के निरंतर, सद्भोग लीला के उत्तम प्रकारना लोगोनी क्रीमा ते चित्ते के चित्तने विषे व्यचिति के