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विषयानुक्रमणिका
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पृष्ठ श्लोक ६५६ याचितवस्तु न मिली तो दाताको छोड देते हैं ३२६ ६४७ याचकोंको लज्जा आदि नहीं रहते
३२७ ६४८ दुर्जनसंगतिसे सजन भी दोषी होते हैं ३२७ ७९ ६४९ स्त्रियोंका बल्लभ कौन है ? ६५० देवकार्यमें विघ्न डालने का फल ६५१ छिद्रान्वेषी महापापी होता है
३२८ . ८२ ६५२ देवस्थानादिसे द्रोह नहीं करें
३२८ ८३ ६५३ पापीको प्रामाधिपत्य आदि प्राप्त नहीं होसकते ३२८. ८४ ६५४ सम्यग्दृष्टिका आदर करनेका वचन देकर ____ उदासीन नहीं होवे
३२८ ६५५ कंजूसका घर अपवित्र होता है
३२९ ८६ ६५६ पुण्यक्षेत्रको स्पर्श नहीं करनेवाले सूतकी जन .. सच्चरित्र होते हैं ।
३२९ ८७ ६५७ पूजाके नामसे द्रव्यापहरण फल
३२९ ६५८ स्वाम्यादि द्रव्यापहरणफल ।
३३० ९० ६५९ पात्रके बहानेसे द्रव्यापहरणफल
३३० ६६० पुण्यवान को पापकर्म आश्रय नहीं करते हैं ३३० ६६१ अशुभपरिणामसे पापासव : . ३३० ९३ ६६२ जैनमुनियोंके समाधिभंगफल ६६३ पापभीर गुरुजनोंके आसनपर नहीं बैठते ३३१ ९५-९६ ६६४ सजन पापकार्य को त्याग दें
३३१ ९७ ६६५ तपश्चरणसे सुख
३३२ ९८-९९ ६६६ आचरणके अनुसार फल
३३२ १०० ६६७ स्वक्षेत्रको छोडनेवाला पापी है
३३३ १०१ ६६८ मातापितादिकों की निंदाका फल ३३३ १०२