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दानशाला लक्षण
पापी स्त्रियां.
स्त्रियस्तु बंध्यागमने महोज्ज्वलाः । सुधौतवस्त्राः शुचयो महोत्सवाः || भवंति पात्रागमने सकच्चरा । मलीमसांगा महिनाशयास्सदा ॥ २५ ॥
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अर्थ - बहुतसी स्त्रियां अपने घर में बंधुओंके आगमन के वृत्तांत पाकर न्हा धोकर स्वच्छ हो जाती हैं एवं अच्छे २ कपडे, गहने पहनकर अपने घर में कोई उत्सव हो जैसे रहती हैं । परन्तु खेद है कि पात्रों के आगमके समय में खराब कपडे पहने रहती हैं । शरीरको ही नहीं, मन को भी मैला कर लेती हैं ॥ २५ ॥
सर्वे सर्वाणि वित्तानि दीनेभ्यो ददते महे ॥ दातारो याचकास्संति ते ते तानि वृषाय न ॥ २६ ॥
अर्थ - लौकिक कार्यो के लिए सर्वजन याचकोंके इच्छित द्रव्य को दानमें देते हैं, उस में दातार भी है याचक भी हैं । परंतु धर्म कार्यों के लिए दातार भी नहीं, याचक भी नहीं है । कदाचित् याचक भी हों तो दातार नहीं हैं ॥ २६ ॥
पुण्यवती स्त्रियां.
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स्त्रियः कृतायाः सदया महोत्सवाः ॥ सुतवत्राः शुचयो महोज्ज्वलाः ॥ अवंति पात्रागमनेषु ते च ता । मनोवचःकायविशुद्धयश्च ॥ २७ ॥
अर्थ - पुण्यवान् दयालु स्त्री पुरुष पात्रोंके आगमन में सुंदर वस्त्र
को पहननेवाली व महान उत्सववाली हो जाती हैं, इतना ही नहीं उन के मनवचन काय की शुद्धि होती है । यह उन का पूर्वपुण्य व भक्ति का फल है ।। २७ ।।
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