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________________ दसठाणगविवढियाणं भावाणं परूवणा आपविजति०, ठाणे णं परित्ता वायणा संखेज्जा संखेन्जाओ पडिवत्तीओ से तं अंगठ्ठयाए तइए अंगे एगे सुयक्वंधे दस अझयणा एगवीसं उद्देसणकाला एकवीसं समुद्देसणकाला बावत्तरि पयसहस्सा पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा०, से एवं आया० आघविज्जइ०, से तं ठाणे४८ से किं तं समवाए?, २ णं जीवा समासिज्जति अजीवा समासिज्जति जीवाजीवा समासिज्जति ससमए समासिज्जइ परसमए समासिज्जइ ससमयपरसमए समासिज्जइ लोए समासिज्जइ अलोए समासिजह लोआलोए समासिजा, समवाए णं एगाइयाणं एगुत्तरियाणं ठाणगसयविवड्ढियाणं भावाणं परूवणा | आषकिमाइ दुवालसविहस्स य गणिपिडगस्स पल्लव (ण्णवण) मग्गे समासिज्जइ, समवायस्स णं परित्ता वायणा संखिजा० संखिजाओ पडिवत्तीओ, से गं अंगट्टयाए चउत्थे अंगे एगे सुरक्खंधे एगे अझयणे एगे उद्देसणकाले एगे समुद्देसणकाले एगे चोआले सयसहस्से पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा० निदंसिज्जति से एवं आया० आषविज्जइ०, से तं समवाए ४९॥ से कि त विवाहे?, २ णं जीवा वियाहिज्जति अजीवा वियाहिज्जति जीवाजीवा वियाहिजति ससमए क्यिाहिज्जति परसमए वियाहिज्जति ससमय परसमए वियाहिज्जति लोए वियाहिज्जति अलोए वियाहिज्जति लोयालोए वियाहिज्जति, विवाहस्स णं परित्ता वारणा संखिजा० संखिजाओ पडिवत्तीओ से णं अंगडयाए पंचमे अंगे एगे सुयक्खंधे एगे साइरेगे अझयणसए दस देसमसहस्साई दस समुद्देसगसहस्साई छत्तीसं पसिणवागरणसहस्साई दो लक्खा अट्ठासीई पयसहस्साई पयग्गेणं संखिज्जा अक्खय । मीनन्दीसूत्र ।। ३. सागरजी म. संशोधित
SR No.021046
Book TitleAgam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages44
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size4 MB
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