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________________ अणंता० उवदंसिज्जंति, से एवं आया० चरणकरणपरुवणा आघविजइ०, से तं विवाहे ११० से किं तं नाया धम्मकहाओ?,|| नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराई उजाणाई चेइयाइं समोसरणाई वणसंडाई रायाणो अम्मापियरी धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोइयपारलोइया इड्ढिविसेसा भोगपरिच्चाया पव्वजाओ परिआया सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविजंति०, दस धमकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए य धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई एगमेगाए अक्खाइआए पंच पंच उवक्खाइयासयाई एगमेगाए उवक्खाइयाए| पंच पंच अक्खाइयाउवक्खाइयासयाई, एवमेव सपुव्वारेणं अध्नुढाओ कहांणगकोडीओ हवंतित्ति समक्खायं, नायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा० संखेग्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगठ्याए छठे अंगे दो सुअक्खंया एगूणवीसं अझयणा एगूणवीसं उद्देसणकाला एगूणवीसं समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसहस्साई पयग्गेणं, संखेजा० उवदंसिजति, से एवं०, से तं नायाधम्मकहाओ ॥५१॥ से किं तं उवासगदसाओ?, उवासगदसासु णं समणोवासयाणं नगराई उजाणाई चेइयाई वणसंडाइं समोसरणाई रायाणो अम्मापियो धम्मायरिया धमकहाओ इहलोइअपारलोइया इड्ढिविसेसा भोगपरिच्चाया (पव्वजाओ परिआगा) सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई | सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासपडिवजणया पडिमाओ उक्सग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई० अंतकिरियाओ य आघविनंति०, उवासगदसाणं परित्ता वायणा० संखेन्जाओ पडिवत्तीओ से णं अंगठ्ठयाए सत्तमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस | श्रीनन्दीसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित [२२]
SR No.021046
Book TitleAgam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages44
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size4 MB
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