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से नाए य पओस प्रत्यारो॥१॥ संखडिकणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एगत्था एगत्थुड्डाहाई जजिय भोगंतरायं च॥२॥ एवं तु गविट्ठस्सा उग्गमउप्यायणाविसुद्धस्सा गहणविसोहि विसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स॥३॥ उपायणाए दोसे( सा) साहू3 समुहिए वियाणाहि (या इमे भणिया) गहणे (दसए)सणाइ दोसे आयपर( गिहिसाह )समुट्ठिए वोच्छं॥४॥ दोनि 3 साहुसमुत्थासंकिय तह भावओऽपरिणयं चोसेसा अट्ठविनियमा गिहिणो यसमुट्ठिए जाण५॥ नामंठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा। दव्वे वानरजूहं भावंमि य दस पया हुंति॥६॥ पडि(रि)सडियपंडुपत्तं वणसंडं दतु अनहिं पेसे। जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे ॥७॥ सयमेवालोएउं जूहवई तं वर्ण समतेणी वियरइ तेसि प्यारं चरिऊण य तो दहं गच्छे ॥८॥ ओयरतं पयं दद्रु, नीह( उत्तर न दीसई। नालेण पियह पाणीयं, नेस निकारणो दहो॥९॥ संकिय मक्ख्यि निक्खित्त पिहिय साहरिय दायगुम्भीसे। अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति॥५२०॥ संकाए चउभंगो दोसुवि गहणे य भुंजणे लगो। जं संकियमावन्नो पणवीसा चरिमए सुद्धो॥१॥ उग्गमदोसा सोलस आहाकम्भाइ एसणादोसा। नव मक्खियाइ एए पणवीसा चरिभए सुद्धो॥२॥ छउत्थो सुयनाणी उवउत्तो( गवेसए) उन्नुओ पयत्तेणी आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो॥३॥ ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइवि गिण्हइ असुद्धी तं केवलीवि भुंजइ अपमाण सुयं भवे इहरा॥४॥ सुत्तस्स अप्यमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खस्सा मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था 3॥५॥ किंतु(ति)ह खद्धा भिक्खा दिजइ न य तरइ पुच्चि In श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र।
पू. सागरजी म. संशोधित
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