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| हिरिभी इय संकाए घेत्तुं तं भुंजइ संकिओ चेव॥६॥ हियएण संकिएणं गहिओ अनेणंसोहिया सा यो पगयं पहेणगं वा सोउं | निस्संकिओ भुजे॥७॥ जारिसय च्चिय लद्धा खद्धा भिक्खा भए अभुयगेहे। अन्नेहिवि तारिसिया वियडंत निसामए तइए॥८॥ जइ संका दोसकरी एवं सुद्धपि होइ अविसुद्धी निस्संकमेसियंतिय अणेसणिज्जपि निदोस॥९॥अविसुद्धोपरिणामोएगयरे अवडिओ य पक्खंमा एसिपि कुणइ णेसिं अणेसिमेसिं विसुद्धो ॥५३०॥ दुविहं च मक्खियं खलु सच्चित्तं चेव होइ अच्चित्ती सच्चित्तं पुण तिविहं अच्चित्तं होइ दुविहं तु॥१॥ पुढवी आउ वणस्सइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं होइ। अच्चित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा ॥२॥ सुझेण सरक्खेणं मक्खियमल्लेण पुढविकाएकी सव्वंपि मक्खियं तं एत्तो आउंभि वोच्छामि॥३॥ पुरपच्छकम्म ससिणिद्धल्ले चत्तारि आउभेयाओ।उकिट्ठरसालित्तं परित्तऽणतं महिरुहेसु॥४॥सेसेहि उकाएहिं तीहिवि तेऊसमीरणतसेहि। सच्चित्तं भीसंवा न मक्खितं अत्टि उल्लं वा॥५॥ सच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो।आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अणुन्ना 3॥६॥ अच्चित्तमक्खियंमि उच्उसुवि भंगेस होइ नया 31 अगरहिएण 3 गहणं पडिसेहो गरहिए होड॥७॥ संसजिमेहि वज अगरहिएहिंपि गोरसदवेहि महुध्यतेल्लगुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाघाओ॥८॥ मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेजा। उओऽवि गरहिएहिं मुत्तुच्चारेहिं छित्तंपि ॥९॥ सच्चित्तमीसएसु दुविहं काएसु होइ निक्खित्तो एक्वेवं तं दुविहं अणंतर परंपर चेव॥५४०॥ पुढवी आउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणी एकेक दुहाऽणंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा॥१॥ सच्चित्तपुढविकाए श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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