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दो दंडिणी उ आयाणपरिसाडे ॥ ५०० ॥ जंघाहीणा ओमे कुसुमपुर सिस्सजोग रहकरणी खुड्डदुगंजणसुणणा गमणं देसंतरे | सरणं॥३५॥ भा० । भिक्खे परिहायंते थेराणं तेसि ओमे दिंताणं। सहभुज्ज चंदगुत्ते ओमोयरियाए दोबलं ॥ ६ ॥ चाणक्कपुच्छ | इट्टालचुण्णदारं पिहित्तु धूमे यो दठ्ठे कुच्छ पसंसा थेरसमीवे उवालंभो ॥३७॥ भा० । जे विज्जमंतदोसा ते च्चिय वसिकरणमाइ चुन्नेहिं । एगमणेग पओसं कुज्जा पत्थारओ वावि ॥१॥ सुभगदुम्भग्गकरा जोगा आहारिमा य इयरे या आघंसंधूववासापायपले वाइणो | इयरे ॥ २ ॥ नइकण्हबिन दीवे पंचसया तावसाण निवसंति। पव्वदिवसेसु कुलवई पालेवुत्तार सक्कारे ॥३॥ जण सावगाण खिंसण समियाक्खण माइठाण लेवेण सावय पयत्तकरणं अविणय लोए चलणधोए ॥४॥ पडिलाभिय वच्चता निब्बुड नइकूल मिलण | समियाऽऽओ। विम्हिय पंचसया तावसाण पव्वज्ज साहा य॥५॥ अकुमार खयं जोणी विवरीयट्ठा णिवेसणं वावि। गम्मपए पायं वा जो कुव्वइ मूलकम्मं ॥६०॥ अधिई पुच्छा आसन्न दिवाहे भिन्नकन्नसाहणया। आयमणपियणओसह अदखय | जज्जीव अहिगरणं॥६॥ जंघा परिजिय सड्ढी अद्धि आणिजए मम सवत्ती | जोगो जोणुग्धाडण पडिसेह पओस उड्डाहो ॥७॥ मा ते फंसेज्ज कुलं अदिज्जमाणा सुया वयं पत्ता । धम्मो यग्लोहियस्सा जड़ बिंदू तत्तिया नरया ॥८॥ किं न ठविज्जइ पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्ति संताणो। पच्छाविय तं कज्जं असंगहो मा य नासिज्जा ॥९॥ किं अद्धित्ति पुच्छा सवित्तिणी गम्भिणित्ति से देवी। | गम्भाहाणं तुज्झवि करोमि मा अद्धि कुणसु ॥ ५१० ॥ जइवि सुओ मे होही तहवि कणिट्ठोत्ति इयर जुवराया । देइ परिसाडणं ॥ श्री पिण्डनिर्युक्ति सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
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