________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
| गहणं ठिय वासे मीसगं छारो ॥ २ ॥ गुरुपच्चक्खाणिगिलाणसेहमाईण धोवणं पुव्वं । तो अप्पणो पुव्वमहाकडे य इयरे दुवे पच्छा ॥३॥ अच्छोड पिट्टणासु य न धुवे धोए पयावणं न करे। परिभोग अपरिभोगे छायायव पेह कल्लाणं ॥ ४ ॥ तिविहो ते उक्काओ सच्चित्तो | मीसओ य अच्चित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥ ५ ॥ इट्टगपागाईणं बहुमज्झे विज्जुभाइ निच्छयओ । इंगालाई इयरोत्ति मुम्मुरमाई 3 मिस्सो ॥६॥ ओयणवंजणपाणण आयामुसिणोदगं च कुम्मासा | डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई उ | उवओगो॥७॥ वाउक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥८॥ सवलय घणतणुवाया अइहिम अइदुद्दिणे य(सु) निच्छयओ । ववहार पाइणाई अकंताई य अच्चित्तो॥९॥ अकंतधंतघाणे देहाणुगए य पीलियाइसु यो अच्चित्त वाउकाओ (तो एवविहो) भणिओ कम्मट्टमहणेहिं ॥ ४० ॥ हत्थसयमेग गंता दइओ अच्चित्तु बीयए मीसो । | तइयंमि उ सच्चित्तो वत्थी पुण पोरिसिदिणेसु ॥ १ ॥ निद्धेयरो य कालो एगंतसिद्धिमज्झिमजहन्नो । लुक्खोव होइ तिविहो जहन्नमज्झो य उक्कोसो॥ २ ॥ एगंतसिणिर्द्धमी पोरिसिमेगं अचेअणो होइ। बिइयाए संमीसो तइयाइ राचेयणो वत्थी ॥३॥ मज्झिमनिद्धे दो पोरिसीउ अच्चित्तु मीसओ तइए। चोत्थीए सच्चित्तो पवणो दइयाइ मझगओ ॥४॥ पोरिसितिगमच्चित्तो निद्धजहन्नंमि मीसग चउत्थी । सच्चित्त पंचमीए एवं लुक्खेऽवि दिणवुड्ढी ॥४५ ॥ दइएण वत्थिणा वा पओयणं होज्ज वाउणा मुणिणो । गेलन्नंमि व होज्जा सचित्तमी से परिहरेज्जा ॥ १२ ॥ भा० । वणसइकाओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो ॥ श्री पिण्डनिर्युक्ति सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
४
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only