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| निच्छयववहारओ चेव॥३॥ सव्वोऽवणंतकाओ सच्चित्तो होइ निच्छयन्यस्सोववहारस्सयसेसो मीसो पव्वायरोट्टाई॥४॥ पुष्पाणं पत्ताणं सरडुफलाणं तहेव हरियाणी वेंटमि मिलाणंमी नायव्वं जीवविष्यजढं॥१५॥ भा० संथारपायदंडगखोमिय कृप्या य पीढफलगाई। ओसहभेसज्जाणि य एमाइ पओयणं बहुहा॥६॥ बियतियचउरो पंचिंदिया य तिप्पभिइ जत्थ उ समेति। सट्ठाणे सट्ठआणे सो पिंडो तेण जमिण॥७॥ बेइंदियपरिभोगो अक्खाण ससिप्पसंखमाईणी तेइंदियाण उद्देहिगादि जंवा वए वेजो॥८॥ चरिदियाण मच्छियपरिहारो चेव आसमक्ख्यिा चेवा पंचेदियपिंडमि 3 अव्ववहारी 3 नेरझ्या॥९॥ चम्मद्विदंतनहरोमसिंगअविलाइछगणगोमुत्तोखीरदधिमाइयाण य पंचिंदियतिरियपरिभोगो॥५०॥सच्चित्ते पव्वावण पंथुवएसे य भिक्खदाणाईीसीसहिग अच्चित्ते मीसहिसरक्खपहपुच्छ।॥१॥ खभगाइ कालकजाइएसु पुच्छिज्ज देवयं कंचि। पंथे सुभासुभे वा पुच्छेई(च्छाए )दिव्य उवओगो॥२॥अह भीसओय पिंडोएएसिं चिय नवण्ह पिंडाणीदुगसंजोगाईओ नायव्यो जाव चरमोत्ति ॥३॥सोवीरगोरसासववेसणभेसज्जनेहसागफले। पोग्गललोणगुलोयण णेगा पिंडा 3 संजोगे ॥४॥ तिन्नि उ पएससमया ठाणद्विइ3 दविए तयाएसा। चउपंचमपिंडाणं जत्थ जया तप्परूवणया॥५॥ मुत्तदविएसु जुजइ जइ अत्रोत्राणुवेहओ पिंडो। मुत्तिविमुत्तेसुवि सो जुजइ नणु संखबाहुल्ला॥६॥ जह तिपएसो खंथो तिसुवि पएसेसु जो स( सो ज) मोगाढो। अविभागिण संबद्धो कहानु नेवं तदाधारो?॥७॥ अहवा चउण्ह नियमा जोगविभागेण जुज्जए पिंडो। दोसु जहियं तु पिण्डो वणिज्जइ कीरए वावि॥८॥ दुविहो 3 भावपिण्डो श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र।
पू. सागरजी म. संशोधित
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